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भगवान महावीर के कल्याणकारी सिद्धांत आज के दौर में भी प्रासंगिक: विभवसागर
इंदौर:- भगवान महावीर स्वामी ने जिन सिद्धांतों को जन जन के लिए कल्याणकारी माना था वह आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं महावीर की वही बातें आज देशना के माध्यम से आप तक पहुंच रही हैं इसका जितना लाभ उठा सकें, उठाना चाहिए। गलत कार्य थोड़े समय के लिए आनंद देता है परंतु उसकी पीड़ा अनंत काल तक भोगनी पड़ती है।
आज यह बात आचार्य 108 विभव सागर महाराज ने गुमास्ता नगर जैन मंदिर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सदैव से सम्मान और सत्कार सिखाती है बड़ा भाई- सम्मान योग्य, भाभी- माता समान,भाग्य विधाता, देवर- देवता के तुल्य, दादी – संस्कारों को देने वाली, दादा – दान देने वाला, पुत्र- पिता के कुल को पवित्र करने वाला, हमारी संस्कृति में माना गया है। सदैव अपने माता पिता, गुरु जन का सम्मान करना चाहिए।
हम, मरे हुए व्यक्ति को स्वर्गीय कहते हैं मृत व्यक्ति नहीं। संत का कार्य प्रवचन करना और शास्त्र लिखना है जन जन तक पहुंचाने का कार्य श्रावक का होता है, जो अपना अपना काम पहचान लेते हैं वह संसार का कल्याण कर देते हैं।
दूसरों की निंदा करना और अपनी प्रशंसा करना महान पाप का कारण बनता है यह समय आप यदि परमात्मा का गुणगान करने में लगाएं तो कल्याण हो जाएगा। जो व्यक्ति स्वार्थवश गुरु के साथ कपट और मित्र के साथ चोरी करता है वह व्यक्ति निर्धन या कोढ़ी बनता है। गुरु तो संसार सागर से पार उतारने वाले जहाज के समान होते हैं जो साथ ले लेता है वह भव सागर से पार हो जाता है।
गुरु, विद्युत के समान होते हैं इनके सामीप्य का सदुपयोग कर सको तो ही समीप आना चाहिए अन्यथा दूर ही रहना चाहिए अन्यथा करंट लग सकता है। वृक्ष और कुआं भले एक ही बनाए पर उसका हमेशा ख्याल रखें ताकि सब उस से लाभान्वित हो सके। विद्वान का परिचय, उसकी 50 साल की साधना के बाद होता है और वह थोड़े समय के लिए ही कार्य कर पाता है। साधु और विद्वान चलते फिरते तीर्थ होते हैं।
समाज के संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि इस अवसर पर स्वयंसेवी लोगों का सम्मान भी किया गया। सभा में श्री टी के वैद, प्रतिपाल टोंग्या, वीरेंद्र कबाड़ी, प्रदीप झांझरी, सुभाष सेठिया, विनय चौधरी व कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।